जीभ की तेज धार

भजन 22:15
मेरी ताकत ठीकरे की तरह सूख गयी है, मेरी जीभ तालू से चिपक गयी है, तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
यशायाह 41:17
“ज़रूरतमंद और गरीब पानी की तलाश में हैं, मगर उन्हें पानी नहीं मिलता, उनकी जीभ प्यास के मारे सूख गयी है। मैं यहोवा उनकी दुहाई सुनूँगा, मैं इसराएल का परमेश्‍वर उन्हें नहीं त्यागूँगा।
प्रकाशितवाक्य 16:10
पाँचवें स्वर्गदूत ने अपना कटोरा जंगली जानवर की राजगद्दी पर उँडेला। और उसका राज अंधकार से भर गया और लोग दर्द के मारे अपनी जीभ काटने लगे।
सपन्याह 3:13
इसराएल के बचे हुए लोग बुरे काम नहीं करेंगे, झूठ नहीं बोलेंगे, न उनकी जीभ छल की बातें करेगी। वे खाएँगे-पीएँगे और आराम करेंगे, उन्हें कोई नहीं डराएगा।”
श्रेष्ठगीत 4:11
हे मेरी दुल्हन, तेरे होंठों से छत्ते का शहद टपकता है, तेरी जीभ के नीचे दूध और शहद रहता है। तेरे कपड़ों की खुशबू लबानोन की खुशबू जैसी है।
भजन 51:14
हे परमेश्‍वर, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, खून का दोष मुझ पर से मिटा दे ताकि मेरी जीभ खुशी-खुशी तेरी नेकी का ऐलान करे।
याकूब 3:5
उसी तरह, जीभ भी हमारे शरीर का एक छोटा-सा अंग है फिर भी यह बड़ी-बड़ी डींगें मारती है। देखो! पूरे जंगल में आग लगाने के लिए बस एक छोटी-सी चिंगारी काफी होती है।
भजन 57:4
मैं शेरों से घिरा हुआ हूँ, मुझे ऐसे आदमियों के बीच लेटना पड़ता है जो मुझे फाड़ खाना चाहते हैं, जिनके दाँत भाले और तीर हैं, जिनकी जीभ तेज़ तलवार है।
जकरयाह 14:12
देश-देश के जो लोग यरूशलेम से युद्ध करते हैं, उन पर यहोवा महामारी लाएगा। खड़े-खड़े उनका शरीर गल जाएगा, उनकी आँखें अपने गड्ढों में सड़ जाएँगी और उनकी जीभ उनके मुँह में सड़ जाएगी।
याकूब 3:6
जीभ भी एक आग है। यह हमारे शरीर के अंगों में बुराई की एक दुनिया है क्योंकि यह पूरे शरीर को दूषित कर देती है और इंसान की पूरी ज़िंदगी में आग लगा देती है और यह गेहन्‍ना की आग की तरह भस्म कर देती है।
होशे 7:16
उन्होंने अपना रास्ता बदला, मगर ऊँचाई की तरफ नहीं, वे ढीली कमान की तरह भरोसे के लायक नहीं थे। उनके हाकिम तलवार से मार डाले जाएँगे क्योंकि वे अपनी जीभ से विरोध करते हैं। इसलिए वे मिस्र में मज़ाक बनकर रह जाएँगे।”
लूका 16:24
तब अमीर आदमी ने पुकारा, ‘पिता अब्राहम, मुझ पर दया कर। लाज़र को मेरे पास भेज कि वह अपनी उँगली का छोर पानी में डुबाकर मेरी जीभ को ठंडा करे क्योंकि मैं यहाँ इस धधकती आग में तड़प रहा हूँ।’

जीभ की तेज् धार

भजन 66:17
मैंने अपने मुँह से उसे पुकारा, अपनी जीभ से उसकी महिमा की।
भजन 34:13
तो फिर अपनी जीभ को बुराई करने से, अपने होंठों को छल की बातें कहने से रोको।
अय्यूब 20:12
अगर बुराई उसके मुँह को मीठी लगती है और वह उसे जीभ के नीचे दबा लेता है,
अय्यूब 5:15
वह उनकी जीभ की धार से लोगों को बचाता है, वह गरीबों को ताकतवरों के चंगुल से छुड़ाता है।
भजन 64:8
उनकी जीभ ही उनके गिरने की वजह बनेगी देखनेवाले सभी हैरत से सिर हिलाएँगे।
भजन 64:3
वे अपनी जीभ तलवार की तरह तेज़ करते हैं, कड़वे शब्दों के तीरों से निशाना साधते हैं
भजन 139:4
इससे पहले कि मेरी जीभ एक भी शब्द कहे, हे यहोवा, तू जान लेता है।
भजन 78:36
मगर उन्होंने मुँह से उसे धोखा देने की कोशिश की, अपनी जीभ से उससे झूठ बोला।
अय्यूब 29:10
बड़े-बड़े आदमी चुप हो जाते थे, उनकी जीभ तालू से चिपक जाती थी।
अय्यूब 34:3
जैसे जीभ से खाना चखा जाता है, वैसे ही कानों से बातों को परखा जाता है।
नीतिवचन 6:17
घमंड से चढ़ी आँखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, बेगुनाहों का खून करनेवाले हाथ,
अय्यूब 12:11
जैसे जीभ से खाना चखा जाता है, वैसे ही क्या कानों से बातों को नहीं परखा जाता?
याकूब 3:8
मगर जीभ को कोई भी इंसान काबू में नहीं कर सकता। यह ऐसी खतरनाक और बेकाबू चीज़ है जो जानलेवा ज़हर से भरी है।
यिर्मयाह 23:31
यहोवा ऐलान करता है, “मैं इन भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा दूँगा जिनकी जीभ कहती है, ‘परमेश्‍वर ने यह ऐलान किया है!’”
नीतिवचन 12:19
सच बोलनेवाले होंठ हमेशा कायम रहेंगे, मगर झूठ बोलनेवाली जीभ पल-भर की होती है।
अय्यूब 41:1
क्या तू मछली पकड़नेवाले काँटे से लिव्यातान को पकड़ सकता है? या उसकी जीभ को रस्सी से कस सकता है?
भजन 50:19
तू अपने मुँह से बुरी बातें फैलाता है, तेरी जीभ हमेशा छल की बातें कहती है।
भजन 35:28
तब मेरी जीभ तेरी नेकी का बखान करेगी और दिन-भर तेरी तारीफ करेगी।
भजन 119:103 तेरी बातें मेरी जीभ को मीठी लगती हैं, मेरे मुँह को शहद से भी मीठी

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विषय:-जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो |

जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये आराधनालयों में और सड़कों के चौराहों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उनको अच्छा लगता है। मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
(मत्ती 6:5; 6:6)

1. पहला , क्या हम एक परमेश्वर से एक निष्कपट दिल से प्रार्थना करते हैं ?

2. दूसरा , क्या हम परमेश्वर से तर्कसंगत तरीके से प्रार्थना करते हैं ?

3. तीसरा , क्या हमारी कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य है ?

1. पहला , हमें मन से प्रार्थना करनी चाहिए , निष्कपटता से प्रार्थना करनी चाहिए और ऐसी सच्ची बातें कहनी चाहिए जो दिल से निकलें ।

2. दूरारा , हमें रचे गये प्राणियों के रथान पर खड़ा होना चाहिए और परमेश्वर रो कोई माँग नहीं करनी चाहिए ; हमें एक ऐसे दिल से प्रार्थना करनी चाहिए जो परमेश्वर को समर्पित होता हो ।

3.तीसरा , अगर हमारी कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है , तो हमें तलाशने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।

क्योंकि वचन कहता है 👇

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